मध्य प्रदेश में होली का पर्व व बड़े ही आस्था और उल्लास के साथ मनाया जाता है, जहां प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में होली पर अलग-अलग आयोजन होते हैं। इन्हीं आयोजनों में कुछ क्षेत्र ऐसे भी हैं, जहां धार्मिक परंपराओं का निर्वहन कई सालों से किया जा रहा है। इन्हीं परंपराओं में एक परंपरा पेटलावद क्षेत्र में निभाई जाती है, जहां चुल कार्यक्रम का आयोजन होता है।
चुल कार्यक्रम के दौरान सैकड़ो मन्नत धारी भक्त आग के दहकते अंगारों से गुजर कर मन्नत पूरी होने पर माता हिंगलाज के प्रति अपनी आस्था व्यक्त करते हैं। होली पर आयोजित होने वाला यह कार्यक्रम काफी प्रचलित है, जिसमें शामिल होने दूर दराज के गांव से लोग पेटलावद पहुंचते हैं।
कुछ ऐसी है प्रथा
होलिका दहन के दूसरे दिन यानी धुलेंडी की शाम पेटलावद के ग्राम करवड़, टेमरिया, रायपुरिया सहित कई स्थानों पर वर्षों पुरानी परंपरा अनुसार चुल कार्यक्रम आयोजित होता है, जो इस वर्ष भी भक्ति भाव के साथ आयोजित हुआ है। आस्था के इस अनूठे आयोजन में सैंकड़ों मन्नत करने वाले लोगों ने मन्नत पूरी होने पर दहकती आग और अंगारों पर चलकर हिंगलाज माता के प्रति अपनी आस्था को व्यक्त किया है।
मान्यता है कि, कोई भी व्यक्ति हिंगलाज माता को साक्षी मानकर मन्नत लेता है, तो उसकी हर मन्नत पूरी होती है। फिर मन्नतधारी आग और अंगारों पर चलकर अपनी मन्नत पूरा होने पर हिंगलाज माता का धन्यवाद देते हैं। यह परंपरा क्षेत्र में वर्षों से चली आ रही है। जिसका आज भी क्षेत्र में निर्वहन किया जा रहा है।
मन्नतधारियो ने बताया की, वह दहकती आग और अंगारों से गुजरते हैं तो उन्हें किसी भी तरह की चोट या दर्द नहीं पहुंचता है। उनके लिए अंगारे भी माता हिंगलाज के आशीर्वाद से फूल बन जाते हैं। मन्नतधारियों में बच्चे, बुजुर्ग, महिला शामिल होते हैं। यह पूरा नजारा पुलिस प्रशासन की आंखों के सामने होता है। पुलिस प्रशासन की और से सुरक्षा के पुख्ता इंतेजामत किए जाते हैं। कार्यक्रम में क्षेत्र से हजारों लोग पहुंचकर कार्यक्रम के साक्षी बने।