मैहर के त्रिकूट पर्वत पर विराजीं मां शारदा के मंदिर में दर्शन-पूजन के लिए चैत्र नवरात्रि के पहले दिन बड़ी संख्या में भक्त पहुंचे। मंगलवार सुबह पट खुलने के बाद यहां विशेष आरती हुई।
मंदिर में इस बार मां के दर्शनों के लिए वीआइपी दर्शन व्यवस्था प्रतिबंधित कर दी गई है। देवी दर्शन के लिए देश भर से मैहर पहुंचे भक्तों ने सोमवार की रात से ही लंबी लाइनें लगा ली थीं। त्रिकूट पर्वत पर विराजीं माता शारदा के मंदिर के पट भोर से पहले ही 3 बजे खुलते ही दर्शन-पूजन का सिलसिला शुरू हो गया।
पुजारी पवन महाराज ने जगतजननी की आरती उतारी और फिर माता शारदा के दर्शन के लिए लंबी लाइनों में खड़े भक्तों ने मत्था टेक कर मातेश्वरी की कृपा प्राप्ति की कामना की। अनुमान है कि 9 अप्रैल से 18 अप्रैल तक चलने वाले चैत्र नवरात्रि मेले में 10 लाख से अधिक श्रद्धालु माता शारदा के दर्शन के लिए मैहर पहुंचेंगे।
पुजारी नितिन पांडे के मुताबिक आल्हा आज भी माता की सबसे पहले पूजन करते हैं। माता शारदा के प्रथम भक्त आल्हा हैं, जिन्हें माता ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर अमरता का वरदान दिया। आज भी माता शारदा के दर्शन के पश्चात आल्हा के दर्शन करना अनिवार्य माना जाता है, नहीं तो दर्शन पूर्ण नहीं होता है। आल्हा महोबा के राजा थे जो की माता शारदा के सबसे बड़े भक्त माने जाते हैं।
मैहर नवरात्र के मेले में माता के दर्शन के लिए श्रद्धालु भाव से दर्शन करने के लिए प्रतिदिन करीब 2 लाख से भी ज्यादा की संख्या में पहुंचते हैं। प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश से लोग मैहर दर्शन करने आते हैं जिनमें से अधिकतर लोग पैदल यात्रा दिन रात चल कर माता के जय कारे के साथ मैहर पहुंचते हैं।
मैहर के स्टेशन रोड पर माई की रसोई के नाम से निःशुल्क भोजन प्रसाद की व्यवस्था की गई है। पुजारी परिवार के बड़े पुत्र पंडित धीरज पांडे के द्वारा संचालन किया जा रहा है। दर्शनार्थियों की सुविधा और सुरक्षा के लिए प्रशासन एवं मां शारदा मंदिर प्रबन्ध समिति ने व्यापक इन्तजाम किए हैं। रेलवे ने भी यात्रियों को अतिरिक्त ट्रेनों के स्टॉपेज की सौगात दी है।